इस बार जब वह छोटी सी बच्ची
मेरे पास अपनी खरोंच लेकर आएगी
मैं उसे फू-फू करके नहीं बहलाऊंगा
पनपने दूंगा उसकी टीस को
इस बार नहीं
इस बार जब मैं चेहरों पर दर्द लिखूंगा
नहीं गाऊंगा गीत पीड़ा भुला देने वाले
दर्द को रिसने दूंगा
उतरने दूंगा गहरे
इस बार नहीं
इस बार मैं ना मरहम लगाऊंगा
ना ही उठाऊंगा रुई के फाहे
और ना ही कहूंगा कि तुम आंखे बंद करलो,
गर्दन उधर कर लो मैं दवा लगाता हूं
देखने दूंगा सबको
हम सबको
खुले नंगे घाव
इस बार नहीं
इस बार जब उलझनें देखूंगा,
छटपटाहट देखूंगा
नहीं दौड़ूंगा उलझी डोर लपेटने
उलझने दूंगा जब तक उलझ सके
इस बार नहीं
इस बार कर्म का हवाला दे कर नहीं उठाऊंगा औज़ार
नहीं करूंगा फिर से एक नई शुरुआत
नहीं बनूंगा मिसाल एक कर्मयोगी की
नहीं आने दूंगा ज़िंदगी को आसानी से पटरी पर
उतरने दूंगा उसे कीचड़ में, टेढ़े-मेढ़े रास्तों पे
नहीं सूखने दूंगा दीवारों पर लगा खून
हल्का नहीं पड़ने दूंगा उसका रंग
इस बार नहीं बनने दूंगा उसे इतना लाचार
की पान की पीक और खून का फ़र्क ही ख़त्म हो जाए
इस बार नहीं
इस बार घावों को देखना है
गौर से
थोड़ा लंबे वक्त तक
कुछ फ़ैसले
और उसके बाद हौसले
कहीं तो शुरुआत करनी ही होगी
इस बार यही तय किया है
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प्रसून जोशी
जहाँ चलती मेरी गुड़िया रानी
बजते घुंघुरू पाँव में
आ लाली मेरी बाँहों में ।
हर पल तुमको खुश रखू
हर खुशिया पहनाऊ
जो तू मांगे हीरे मोती
अगर मिले तो लाऊ
लाली मेरी खुशिया बिखराए
आजा धूप से छाह में
आ लाली मेरी बांहों में
हर खुशिया उपहार मिले तुझे
बस जा मेरी आशाओं में
आ लाली मेरी बाहों में
लोग कहेगे अपने मुह से
मेरा सपना सच्चा है
रोशन होगा नाम हमारा
लोग कहे मेरा बच्चा है
जहाँ चलती मेरी गुड़िया रानी
बजते घुंघुरू पाँव में
आ लाली मेरी बाँहों में
पूछ लो खुदा से आपके लिए ही दुआ मांगी ,
पूछ लो हवा से आपके लिए ही फिजा मांगी ।
आपने की जितनी भी गलतिया ,
हमने दुआ में अपने लिए उतनी ही सजा मांगी ।
खुदा किसी को किसी पे फ़िदा ना करे ,
करे तो क़यामत तक जुदा ना करे ,
यह माना की कोई मरता नही जुदाई में ,
लेकिन जी भी तो नही पता तन्हाई में ...
वो कहते है मजबूर है हम ,
ना चाहते हुए भी तुमसे दूर है हम ,
चुरा ली उन्होंने धड़कने भी हमारी ,
फिर भी कहते है बेकसूर है हम !
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कुछ रिश्ते अनजाने में हो जाते है ,
पहले दिल, फिर ज़िन्दगी से जुड़ जाते है ,
कहते है उस दौर को दोस्ती ,
जिस में दिल से दिल ना जाने कब जुड़ जाते है !
चाहत में किसी का इम्तिहान ना लेना ...
जो निभा ही ना सको वो वादा ना देना ...
जिसे आपके बिन जीने की आदत ही ना हो ...
उसे कभी अकेले जीने की दुआ ना देना ।
साज़ के साथ आवाज
समुंदर का साथ साहिल ,
फूल के साथ खुशबू
जिस्म के साथ रूह
खुशी के साथ गम
और आप के साथ हम , हर पल हर दम
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कसूर उनका है न मेरा ,
हम दोनों ही रस्मे निभाते रहे ।
वो दोस्ती का एहसास जताते रहे ।
हम मोहब्बत को दिल में छुपाते रहे .
जब आपका नाम जुबान पर आता है ,
पता नही दिल क्यो मुस्कुराता है ,
तसल्ली होती है दिल को ,
कोई तो है अपना जो हर वक्त याद आता है ...
जरुर किसी ने दिल से पुकारा होगा,
एक बार तो चाँद ने भी आपको निहारा होगा ,
मायूस हो गए होंगे आसंमा के तारे भी उस दिन,
जब जमीं पर आपको खुदा ने ऊतारा होगा !
आपकी यादों की महक इन हवाओं में है,
कुछ अपनापन सा बिखरा इन फिजाओं में है,
खुशिया चूमे आपके कदम हमेशा ,
यही सपना इन निगाहों में है !
सिर्फ़ रिश्तो के बंधन को विश्वास नही कहते,
हर आंसू को जज्बात नही कहते !
किस्मत से मिलता है प्यार जिंदगी में,
इसलिए प्यार को कभी इतेफाक नही कहते !!
आज हमको अपनी बेबसी का हो गया यकीं ,
दिल मे देखा उनको , और उनको दिल मे ना पा के रो दिए ।
तीर खाता हूँ, जख्म सहता हूँ
तेरी याद मे कुछ न कहता हूँ ।
तू बहार की आरजू तू उम्मीद के नजारे
मेरे दिन गुजर रहे है तेरी यादो के सहारे।
दिल वीरान है , तेरी याद है , तन्हाई है ,
ऐसा उजड़ा है चमन तेरे बाद ,
फूल मुरझाये है, कांटो पे बहार आयी है ।
कुछ और पूछिये , ये हरकत न पूछिये ,
कियो मुझको है आप से मौहबत ना पूछिये ।
मुस्कुरा कर डाल दी मुख पर नकाब ,
मिल गया जो मिलना था जवाब ।
लेके पुछुगां दो बोसे लबे रुखसार के
क्या हाल है मेरे परवर दिगार के ।
कुर्बान जाऊ आपकी इस चाल-ढाल पे
रख दूं कदम-कदम पे कलेजा निकाल के ।
खुदा जाने हुई नफरत, की रंजो - गम ने आ घेरा,
निगाहे फेर ली उसने, जनाजा देख के मेरा !
एक अदा मस्ताना सिर से पाँव तक छांई हुई
उफ़ तेरी काफिर जवानी जोश पे आई हुंई !
जनाजे कों मेरे रोक कर, वो बड़े अंदाज से बोले...
गली हमने कही थी, तुम तो दुनिया छोंड़ चले !
जाम गिर पड़ता है साकी, थरथरा जाते है हाथ,
तेरी आँखे देख कर मैं नशे मे आ जाता हूं !
लिख कर जमीं पे मेरा नाम , मिटा दिया,
उनका तो खेल था, हमे खाक मे मिला दिया !
जालिम ने क्या चाल निकाली है रफ्ता - रफ्ता ,
इस चाल पर चलेंगी तलवारे रफ्ता - रफ्ता !
खूब पर्दा है की चिलमन से लगे बैठे है,
साफ छिपते भी नही, सामने आते भी नही !
मेरे पास हो कर गुजरे, मेरा हाल भी न पूछा
मै कैसे करलूं यकिन् की वो दूर जा कर रोये !
तेरा चेहरा सुबह का सूरज है, तुछसे मिलने की आस रहती है
तेरे जलवे कही भी रोशन हो, रौशनी दिल के पास रहती है !
मस्जिद मे उसने आँखे दिखा कर मारा,
जालिम की देखो शोखी, घर मे खुदा के मारा !
तुँम्हे पर्दे से मिलना है, चलो यू ही सही ,
लो हमने आँखे बंद करली, लो पर्दा हो गया !
महबूब की चाल मे जो लंगड़ापन है,
दिल लेने का ये भी एक चलन है !
दिल ने आँखो से कही, आँखो ने दिल से ,
बात चल निकली है, देखे कहाँ पहुचती है !
कोई कैसे राजे उल्फत छुपाऐँ ,
नजर मिली और कदम लंड़खड़ाऍ !
दोस्ती अच्छी हो तो रंग लाती है,
"हथेली सामने रखना..के सब आंसू गिरें उस में..
जो रूक जायेगा होंटों पर...समझ जाना के वो हूँ मैं॥!
कभी जो चाँद कों देखो..तो तुम यूँ मुस्कुरा देना..
के फिर बादल भी आ जाये ...समझ जाना के वो हूँ मैं॥!
जो चल जाए हवा ठंडी..तो आंखें बंद कर लेना..
जो झोंका तेज़ हो सब से..समझ जाना के वो हूँ मैं॥!
जो जियादा याद आऊँ मैं..तो तुम रो लेना जी भर के..
अगर हिचकी कोई आये..समझ जाना के वो हूँ मैं॥!
अगर तुम भूलना चाहो..मुझे शायद भुला दो तुम..
मगर जब साँस आएगी ..समझ जाना के वो हूँ मैं..!!~