15
Jan
आपा - धापी
जीवन की आपा धापी मे कब वक़्त मिला , कुछ देर बैठ ये सोच सकु , जो कीया करा पाया , उसमे क्या भला बुरा ?
बच्चन जी की ये पंक्तिया मन् कों बहुत भाती है। जब कभी बहुत उदास होता हूँ या बहुत खुश होता हूँ, ये ही पंक्तिया गुनगुनाने लगता हूँ । जाने क्या नाता है इन के साथ .
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on Tuesday, January 15, 2008
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