27
Mar

मन की बाते !  

Posted by Barfani bAbA in


काफी समय पहले एक उपन्यास पढ़ा था । नाम था शह और मात । उसकी एक कविता हमेशा याद रहती है।

"छाया मत छुना मन , होगा दुख दूना मन"


जब कभी दिल बहुंत उदास होता है, ये ही कविता मेरे दिलो - दिमाग पर छायी रहती है। नहीँ जानता इस कविता का लेखक कौन है पर ये पंक्ति मेरे को अपने जीवन का सबसे बड़ा सहारा लगती है

( चित्र : डाक्टर परज शुक्ला, मध्य प्रदेश की छत्रियाँ )

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रात भर मेह टप-टप टपकता रहा ,
बूँद-बूँद तुम याद आते रहे !
एक गीला सा ख़वाब मेरी आँखो में चलता रहा ,
काँपता रहा मैं एक सूखे पत्ते की तरह ,
तेरे आगोश की गर्मी पाने को दिल मचलता रहा ,
चाँद भी छिप गया कही बदली में जा के ,
मेरे दिल में तुझे पाने का सपना पलता रहा !
था कुछ यह गीली रात का आलम ,
कि तुम साथ थे मेरे हर पल ,
फिर भी ना जाने क्यूं तुम्हे यह दिल तलाश करता रहा !!



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This entry was posted on Tuesday, March 27, 2007 at Tuesday, March 27, 2007 and is filed under . You can follow any responses to this entry through the comments feed .

2 comments

This comment has been removed by the author.

March 24, 2007 at 6:13 PM

हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है। उम्मीद है कि आप इसी तरह हिन्दी में लगातार लिखते रहेंगे।

HindiBlogs.com

March 24, 2007 at 6:14 PM

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