मन की बाते !
"छाया मत छुना मन , होगा दुख दूना मन"
जब कभी दिल बहुंत उदास होता है, ये ही कविता मेरे दिलो - दिमाग पर छायी रहती है। नहीँ जानता इस कविता का लेखक कौन है पर ये पंक्ति मेरे को अपने जीवन का सबसे बड़ा सहारा लगती है
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रात भर मेह टप-टप टपकता रहा ,
बूँद-बूँद तुम याद आते रहे !
एक गीला सा ख़वाब मेरी आँखो में चलता रहा ,
काँपता रहा मैं एक सूखे पत्ते की तरह ,
तेरे आगोश की गर्मी पाने को दिल मचलता रहा ,
चाँद भी छिप गया कही बदली में जा के ,
मेरे दिल में तुझे पाने का सपना पलता रहा !
था कुछ यह गीली रात का आलम ,
कि तुम साथ थे मेरे हर पल ,
फिर भी ना जाने क्यूं तुम्हे यह दिल तलाश करता रहा !!
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